जैविक खाद
गौ मूत्र से मिलने वाले प्रमुख पोषक तत्व
- नाइट्रोजन
- सल्फर
- पोटेशियम
- यूरिया
- कॉपर
- अमोनिया गैस
- साल्ट
- मैग्निज
- कैल्शियम
- फास्फेट
- एन्जाइम्स
- यूरिक एसिड
- कार्बनिक एसिड
- स्वर्णक्षार
- जल
- सोडियम
- विटामिन A, B, C, D, E
- युरिक एसिड
- आरोग्य कारक अम्ल
फुलवारी द्रव्य
- 10 लीटर :- छाछ
- 100 ग्राम :- आँवला पाउडर
छाछ व आँवला पाउडर को मिक्स करके 10 दिन बाद 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें । इससे फूलों में बढ़ोतरी होगी इसके साथ – साथ फल का साईज और टेस्ट दोनों में बढ़ोतरी होगी ।
पंचगव्य
- 5 किग्रा :- गाय का गोबर
- 2 किग्रा :- गाय के दूध से निर्मित दही
- 500 ग्राम :- गाय का घी
- 3 लीटर :- ताजा गौ मूत्र
- 2 लीटर :- गाय का दूध
- 2 लीटर :- नारियल पानी
- 500 ग्राम :- गुड़
गोबर और दही मिलाकर 5 दिन तक अलग रखना है, उसके बाद बाकी सामग्री मिला दें । 15 दिन में घोल तैयार हो जाएगा ।
मात्रा :- 500 ml / 15 लीटर W. D. C. पानी
नीम खली
100 किग्रा गोबर खाद में 100 किग्रा नीम खली कूटकर खेत में नमी के समय मिलायें । इससे जमीन में आने वाले सभी रोगों से बचाव होता है ।
नीम खली में पोषक तत्व :-
- नाइट्रोजन
- फास्फोरस
- पोटाश
- कैल्शियम
- मैग्निशियम
- सल्फर
- जिंक
- कॉपर
- आयरन
- मैगनीज
सल्फर के लिए
200 ग्राम गंधक को 10 किग्रा देशी गाय के ताजे गोबर में मिलाकर बर्तन को हवा बंद कर दें । “ जीवामृत से भी सल्फर की पूर्ति होती है” ।
मात्रा :- 45 दिन बाद घोल को 100 लीटर पानी में 2 लीटर घोल मिलाकर स्प्रे करें ।
सल्फर की कमी के लक्षण :-
- नई पत्तियां हल्के पीले रंग की हो जाती है ।
- पत्तों की नशें भी पीली दिखाई देती है ।
जैव रसायन
- 1 लीटर :- एल्कोहल
- 100 ग्राम :- दालचीनी या मुलेठी
- 100 ग्राम :- काली मिर्च
काली मिर्च व दालचीनी या मुलेठी को एल्कोहल में डालकर 48 घण्टे के लिए डूबा कर रख दें इसके बाद इन्हे निकालकर कुचलकर पुनः इसी एल्कोहल में मिलाकर 5 लीटर गौ मूत्र डाल दें फिर इसमे
- 250 ग्राम :- अदरक
- 250 ग्राम :- लहसुन
- 500 ग्राम :- नीम की पत्तियाँ
- 500 ग्राम :- गुड़
इन सब को पिसकर 5 दिन के लिए धूप में रख दें ।
मात्रा :- 2 – 3 ml / लीटर (स्प्रे करते समय प्रति एकड़ 5 लीटर छाछ मिक्स करें)
उपयोग :- 2 वर्ष तक उपयोग किया जा सकता है ।
लस्सी या छाछ
नाइट्रोजन
500 ml – 1 लीटर ताजा लस्सी को 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से पौधों को अच्छी खुराक मिलती है फल व फूल अधिक लगते है ।
फंगसनाशी
छाछ को तांबे के बर्तन में 20 दिन तक रखने से अच्छा फंगस रोगनाशी बनता है ।
नियंत्रण :- पत्ती धब्बा रोग व फूल और फल बढ़वार में मदद मिलती है ।
मात्रा :- 500 ml – 1 लीटर / 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें ।
जीवामृत पोषक तत्व
- 180 लीटर :- W.D.C. घोल
- 10 लीटर :- गौ मूत्र (देशी गाय)
- 10 किग्रा :- गोबर (देशी गाय)
- 2 किग्रा :- गुड़
- 1 किग्रा :- मिट्टी (बरगद, पीपल या नीम के नीचे से)
7 दिन में घोल तैयार हो जाता है घोल को हर रोज डंडे की सहायता से घुमाना चाहिए ।
मात्रा :- 2 लीटर / 15 लीटर (इसका प्रयोग 10 – 12 बार तक करना है)
सूक्ष्म पोषक तत्व
- 200 लीटर :- W.D.C. घोल
- 2 किग्रा :- बेशन (मिक्स दाल – अलसी)
- 2 किग्रा :- सरसों खली
- 2 किग्रा :- बिनौला खली
- 2 किग्रा :- गुड़
- 300 ग्राम :- आयरन
- 300 ग्राम :- कॉपर
- 500 ग्राम :- सजीव मृदा
- 5 लीटर :- गौ मूत्र (देशी गाय)
7 दिन में घोल तैयार हो जाता है घोल को हर रोज डंडे की सहायता से घुमाना चाहिए ।
मात्रा :- 2 लीटर / 15 लीटर W.D.C. पानी
सूक्ष्म पोषक तत्व
नाइट्रोजन, फास्फोरस, जिंक, सल्फर, पोटाश, आयरन
फफूंद नाशक की तरह काम करता है ।
- 100 लीटर :- W.D.C. घोल
- 25 लीटर :- लस्सी (15 दिन पुरानी)
- 250 ग्राम :- कॉपर
- 250 ग्राम :- आयरन
7 दिन में घोल तैयार हो जाता है घोल को हर रोज डंडे की सहायता से घुमाना चाहिए ।
बोरॉन की पूर्ति
200 ग्राम सुहागा (Borax Powder) को 10 किग्रा देशी गाय के गोबर के साथ मिलाकर हवा बंद पात्र में रखे, 30 – 45 दिन के बाद 10 लीटर पानी के साथ घोल को छान लें ।
मात्रा :- 250 ml / 15 लीटर
बोरॉन की कमी के लक्षण :-
- पत्तियों का अग्र भाग पीला दिखाई देने लगता है ।
- बढ़वार रुक जाती है, और पौधा मर भी जाता है ।
- टहनियों के शीर्ष भाग पर पत्तियों का झुण्ड बन जाता है ।
तुलसी (कवकनाशी)
500 ग्राम तुलसी की पत्ती को मिक्सी में पिसकर 12 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रख दें । पानी छानकर 15 लीटर W.D.C. पानी में मिलाकर स्प्रे करें ।
उपयोग :- हर 7 – 10 दिन में स्प्रे करें ।
जिंक – मैग्निज के लिए
200 ग्राम सेंधा नमक को पिसकर 10 किग्रा देशी गाय के ताजे गोबर में मिलाकर हवा बंद पात्र में रख दें । 45 दिन बाद 10 लीटर पानी के साथ घोल बनाकर छान ले ।
मात्रा :- 100 लीटर पानी के साथ 2 लीटर घोल मिलाकर स्प्रे करें ।
जिंक की कमी के लक्षण :-
- पत्तियों में पीलापन आकर काले धब्बे दिखाई देते है ।
- पुरानी पत्तियों का शिरा जल जाता है ।
- फसल का बौनापन व पत्तियाँ छोटी हो जाती है ।
फुलवारी द्रव्य (परागण के लिए)
- 200 लीटर :- पानी
- 200 ग्राम :- दालचीनी पाउडर
- 2 किग्रा :- गुड़
- 3 लीटर :- गन्ने का रस (सादा)
- 2 लीटर :- ताजी छाछ
- 500 ग्राम :- शहद
सारी सामग्री को मिक्स करके 7 दिन बाद जब पौधों पर फूल आएं हो तब स्प्रे करें इससे मधुमक्खियाँ आकर्षित होती है ।
मात्रा :- 100 %
उपयोग :- 2 दिन
बेल / गिरी टॉनिक (पोटाश / मैग्निशियम)
- 5 किग्रा :- बेल का गुदा
- 5 लीटर :- पानी
- 200 ग्राम :- गुड़
इन सभी सामग्री को पानी में मिक्स करके 15 दिन के लिए छाया में रख दें ।
मात्रा :- 1 लीटर / 15 लीटर पानी
लकड़ी की राख में भी पोटाश की मात्रा होती है । इसका भी प्रयोग कर सकते है ।
पोटाश के लिए
5 किग्रा पके बेल फल के गूदे को 20 लीटर पानी में घोलकर 2 किग्रा गुड़ डालकर हवा बंद पात्र में रख दें । हर 5 दिन में डंडे की सहायता से हिलाते रहें ।
45 दिन में यह घोल तैयार हो जाएगा इसको 300 लीटर पानी में मिलाकर पौधों में डाले । यदि स्प्रे करना है तो इस घोल को 90 दिन तक रखना होगा ।
पोटाश की कमी के लक्षण :-
- पौधे की नई पत्तियों का किनारा पीला – भूरा पड़कर सूखने लगता है ।
- पत्तियाँ अंदर की ओर मुड़ने लगती है ।
यूरिया, जिंक, सल्फर, पोटाश के लिए
- 20 लीटर :- पानी
- 5 लीटर :- छाछ (एक महीने पुरानी)
- 100 ग्राम :- कॉपर
- 100 ग्राम :- आयरन
- 5 लीटर :- गौ मूत्र
सभी सामग्री को मिलाकर 20 दिन के लिए छाया में रख दें ।
मात्रा :- 1 लीटर / 15 लीटर
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