जैविक कीटनाशक
"एग्री नॉलेज बैंक" के द्वारा किसान भाइयों के लिए कुछ जैविक कीटनाशक तैयार करने की विधि व उपयोग की मात्रा उपलब्ध कराई जा रही है जिसके उपयोग से किसान भाई घर पर ही जैविक पध्दती से कीट प्रबंधन हेतु कीटनाशक तैयार कर सकते है ।
कीटनाशक छिड़काव करते समय सावधानियों का उपयोग :-
- कीटनाशक छिड़काव करते समय मुहँ पर मास्क, चश्मा व हाथों में दस्ताने पहनने चाहिए ।
- कीटनाशक का डिब्बा खोलते समय डिब्बे को चेहरे से दूर रखना चाहिए ।
- कीटनाशक छिड़काव के लिए साफ पानी का उपयोग करें ।
- दोपहर के समय कीटनाशक का छिड़काव नहीं करना चाहिए, कीटनाशक का छिड़काव हमेशा सुबह व शाम के समय करना चाहिए ।
- कीटनाशक छिड़काव के पहले पम्प अच्छी तरह धो लेना चाहिए ।
- कीटनाशक छिड़काव के बाद हाथों को साबुन से जरूर धोना चाहिए ।
जैव कीटनाशी का उपयोग
- रस चुसक कीट, इल्ली, वायरस, फंगस
- टमाटर फसल में झुलसा रोग, धब्बा रोग
- धान में लीफ ब्लस्ट
- पाउडरी मिल्ड्यू, डाउनी मिल्ड्यू
जैविक कीटनाशी
- 2 किग्रा :- लहसुन
- 2 किग्रा :- मिर्च
- 2 किग्रा :- प्याज
- 500 ग्राम :- अदरक
- 500 ग्राम :- हल्दी
200 लीटर वेस्ट डिकम्पोसर घोल में इन सबकी चटनी बनाकर मिला दे व 1 महीने के लिए किसी छायादार जगह पर रख दें ।
नियंत्रण :- इसका उपयोग सभी प्रकार के कीट, थ्रिप्स, माइट्स पर प्रभावी है ।
मात्रा :- 1 - 2 लीटर / 15 लीटर पानी (स्प्रे पम्प)
उपयोग :- इस घोल को आप 3 साल तक प्रयोग कर सकते है ।
तंबाकु का चूर्ण
200 लीटर पानी में 5 से 7 किग्रा तंबाकु चूर्ण को डालकर एक पात्र में एकत्रित कर लें व 10 दिनों के लिये एक निश्चित स्थान पर रख दें । जिसे समय – समय पर भलीभाँती प्रकार मिलाते रहें । इसके पश्चात घोल का स्प्रे करे यह घोल जड़ों में देने से हर प्रकार की बिमारी से बचाव करता है . इस घोल के स्प्रे से सभी प्रकार के कीट का नियंत्रण किया जा सकता है । अगर इसके साथ 50 % चुने का पानी मिलाया जाए तो यह बहुत ज्यादा असरकारक होता है ।
नियंत्रण :- इस घोल के स्प्रे से सभी प्रकार के कीट का नियंत्रण किया जा सकता है ।
कीटनाशी, वायरस, थ्रिप्स, सफेद मक्खी
- 100 ml :- रिफाईंड तेल
- 40 – 50 ml :- नीम तेल
- 1 चम्मच :- मीठा सोडा
- 1/2 चम्मच :- कास्टिक सोडा
- 200 ml :- गौ मूत्र
मात्रा :- सभी सामग्री को अच्छी तरह मिलाकर 15 लीटर की टंकी में डालकर स्प्रे करें ।
लस्सी या छाछ
छाछ को मटकें में भरकर किसी पेड़ के नीचे 20 – 25 दिन के लिए गाड़ दे ।
नियंत्रण :- इल्ली की समस्या फल छेदक कीड़े आदि पर प्रभावी है ।
मात्रा :- 500 ml – 1 लीटर / 15 लीटर पानी (स्प्रे पम्प)
निंबोली काढ़ा
नियंत्रण :- रस चूसक कीट जैसे :- हरा मच्छर, हरा माहू पर नियंत्रण करता है ।
मात्रा :- 250 ml निंबोली काढ़ा व 500 ml से 1 लीटर ताजी लस्सी को 15 लीटर टंकी में मिलाकर छिड़काव करे ।
निंबोली काढ़ा
- 100 लीटर :- पानी
- 30 किग्रा :- हरी निंबोली (चटनी)
- 10 किग्रा :- गुड़
सभी सामग्री का मिश्रण तैयार करके हवा बंद पात्र में 1 महीने के लिए रख दें ।
नियंत्रण :- सभी प्रकार के कीट नियंत्रण पर प्रभावी है ।
मात्रा :- 1 लीटर / 15 लीटर W.D.C. पानी (स्प्रे पम्प)
उपयोग :- 5 वर्ष तक उपयोगी
निंबोली काढ़ा
- 5 किग्रा :- पकी हुई निंबोली का पाउडर
- 10 लीटर :- गौ मूत्र
- 20 लीटर :- पानी
मटके या प्लास्टिक ड्रम में इन सबको मिलाकर अच्छी तरह मुहँ बंद कर 20 दिन के लिए किसी गर्म जगह पर रख दें ।
मात्रा :- 300 – 500 ml / 15 लीटर पानी (स्प्रे पम्प)
उपयोग :- 3 वर्ष तक उपयोगी
नीम तेल
नियंत्रण :- रस चूसक कीट व लटों के नियंत्रण पर प्रभावी है ।
मात्रा :- नीम तेल 5 – 7 ml / लीटर मात्रा में स्प्रे करें ।
देशी गाय का गौ मूत्र
कीटों को भगाने व पौधों की बढ़वार के लिए गौ मूत्र जितना पुराना होगा उतना ही प्रभावी होगा ।
मात्रा :- 300 – 500 ml / 15 लीटर पानी (स्प्रे पम्प)
उपयोग :- किसी भी फसल पर 15 – 20 दिन पर 3 – 4 बार छिड़काव करें ।
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