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Saturday, April 17, 2021

जैविक खाद

 जैविक खाद


गौ मूत्र से मिलने वाले प्रमुख पोषक तत्व

  1. नाइट्रोजन
  2. सल्फर
  3. पोटेशियम
  4. यूरिया
  5. कॉपर
  6. अमोनिया गैस
  7. साल्ट
  8. मैग्निज
  9. कैल्शियम
  10. फास्फेट
  11. एन्जाइम्स
  12. यूरिक एसिड
  13. कार्बनिक एसिड
  14. स्वर्णक्षार
  15. जल
  16. सोडियम
  17. विटामिन A, B, C, D, E
  18. युरिक एसिड
  19. आरोग्य कारक अम्ल

फुलवारी द्रव्य

  • 10 लीटर :- छाछ
  • 100 ग्राम :- आँवला पाउडर
छाछ व आँवला पाउडर को मिक्स करके 10 दिन बाद 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें । इससे फूलों में बढ़ोतरी होगी इसके साथ – साथ फल का साईज और टेस्ट दोनों में बढ़ोतरी होगी ।

पंचगव्य

  • 5 किग्रा :- गाय का गोबर
  • 2 किग्रा :- गाय के दूध से निर्मित दही
  • 500 ग्राम :- गाय का घी
  • 3 लीटर :- ताजा गौ मूत्र
  • 2 लीटर :- गाय का दूध
  • 2 लीटर :- नारियल पानी
  • 500 ग्राम :- गुड़
गोबर और दही मिलाकर 5 दिन तक अलग रखना है, उसके बाद बाकी सामग्री मिला दें । 15 दिन में घोल तैयार हो जाएगा ।
मात्रा :- 500 ml / 15 लीटर W. D. C. पानी

नीम खली

100 किग्रा गोबर खाद में 100 किग्रा नीम खली कूटकर खेत में नमी के समय मिलायें । इससे जमीन में आने वाले सभी रोगों से बचाव होता है ।
नीम खली में पोषक तत्व :-
  • नाइट्रोजन
  • फास्फोरस
  • पोटाश
  • कैल्शियम
  • मैग्निशियम
  • सल्फर
  • जिंक
  • कॉपर
  • आयरन
  • मैगनीज

सल्फर के लिए

200 ग्राम गंधक को 10 किग्रा देशी गाय के ताजे गोबर में मिलाकर बर्तन को हवा बंद कर दें । “ जीवामृत से भी सल्फर की पूर्ति होती है” ।
मात्रा :- 45 दिन बाद घोल को 100 लीटर पानी में 2 लीटर घोल मिलाकर स्प्रे करें ।
सल्फर की कमी के लक्षण :-
  1. नई पत्तियां हल्के पीले रंग की हो जाती है ।
  2. पत्तों की नशें भी पीली दिखाई देती है ।

जैव रसायन

  • 1 लीटर :- एल्कोहल
  • 100 ग्राम :- दालचीनी या मुलेठी
  • 100 ग्राम :- काली मिर्च
काली मिर्च व दालचीनी या मुलेठी को एल्कोहल में डालकर 48 घण्टे के लिए डूबा कर रख दें इसके बाद इन्हे निकालकर कुचलकर पुनः इसी एल्कोहल में मिलाकर 5 लीटर गौ मूत्र डाल दें फिर इसमे 
  • 250 ग्राम :- अदरक
  • 250 ग्राम :- लहसुन
  • 500 ग्राम :- नीम की पत्तियाँ
  • 500 ग्राम :- गुड़
इन सब को पिसकर 5 दिन के लिए धूप में रख दें ।
मात्रा :- 2 – 3 ml / लीटर (स्प्रे करते समय प्रति एकड़ 5 लीटर छाछ मिक्स करें)
उपयोग :- 2 वर्ष तक उपयोग किया जा सकता है ।

लस्सी या छाछ

नाइट्रोजन
500 ml – 1 लीटर ताजा लस्सी को 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से पौधों को अच्छी खुराक मिलती है फल व फूल अधिक लगते है ।
फंगसनाशी
छाछ को तांबे के बर्तन में 20 दिन तक रखने से अच्छा फंगस रोगनाशी बनता है ।
नियंत्रण :- पत्ती धब्बा रोग व फूल और फल बढ़वार में मदद मिलती है ।
मात्रा :- 500 ml – 1 लीटर / 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें ।

जीवामृत पोषक तत्व

  • 180 लीटर :- W.D.C. घोल
  • 10 लीटर :- गौ मूत्र (देशी गाय)
  • 10 किग्रा :- गोबर (देशी गाय)
  • 2 किग्रा :- गुड़
  • 1 किग्रा :- मिट्टी (बरगद, पीपल या नीम के नीचे से)
7 दिन में घोल तैयार हो जाता है घोल को हर रोज डंडे की सहायता से घुमाना चाहिए ।
मात्रा :- 2 लीटर / 15 लीटर (इसका प्रयोग 10 – 12 बार तक करना है)

सूक्ष्म पोषक तत्व

  • 200 लीटर :- W.D.C. घोल
  • 2 किग्रा :- बेशन (मिक्स दाल – अलसी)
  • 2 किग्रा :- सरसों खली
  • 2 किग्रा :- बिनौला खली
  • 2 किग्रा :- गुड़
  • 300 ग्राम :- आयरन
  • 300 ग्राम :- कॉपर
  • 500 ग्राम :- सजीव मृदा
  • 5 लीटर :- गौ मूत्र (देशी गाय)
7 दिन में घोल तैयार हो जाता है घोल को हर रोज डंडे की सहायता से घुमाना चाहिए ।
मात्रा :- 2 लीटर / 15 लीटर W.D.C. पानी

सूक्ष्म पोषक तत्व

नाइट्रोजन, फास्फोरस, जिंक, सल्फर, पोटाश, आयरन
फफूंद नाशक की तरह काम करता है ।
  • 100 लीटर :- W.D.C. घोल
  • 25 लीटर :- लस्सी (15 दिन पुरानी)
  • 250 ग्राम :- कॉपर
  • 250 ग्राम :- आयरन
7 दिन में घोल तैयार हो जाता है घोल को हर रोज डंडे की सहायता से घुमाना चाहिए ।

बोरॉन की पूर्ति

200 ग्राम सुहागा (Borax Powder)  को 10 किग्रा देशी गाय के गोबर के साथ मिलाकर हवा बंद पात्र में रखे, 30 – 45 दिन के बाद 10 लीटर पानी के साथ घोल को छान लें ।
मात्रा :- 250 ml / 15 लीटर
बोरॉन की कमी के लक्षण :-
  1. पत्तियों का अग्र भाग पीला दिखाई देने लगता है ।
  2. बढ़वार रुक जाती है, और पौधा मर भी जाता है ।
  3. टहनियों के शीर्ष भाग पर पत्तियों का झुण्ड बन जाता है ।

तुलसी (कवकनाशी)

500 ग्राम तुलसी की पत्ती को मिक्सी में पिसकर 12 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रख दें । पानी छानकर 15 लीटर W.D.C. पानी में मिलाकर स्प्रे करें ।
उपयोग :- हर 7 – 10 दिन में स्प्रे करें ।

जिंक – मैग्निज के लिए

200 ग्राम सेंधा नमक को पिसकर 10 किग्रा देशी गाय के ताजे गोबर में मिलाकर हवा बंद पात्र में रख दें । 45 दिन बाद 10 लीटर पानी के साथ घोल बनाकर छान ले ।
मात्रा :- 100 लीटर पानी के साथ 2 लीटर घोल मिलाकर स्प्रे करें ।
जिंक की कमी के लक्षण :-
  1. पत्तियों में पीलापन आकर काले धब्बे दिखाई देते है ।
  2. पुरानी पत्तियों का शिरा जल जाता है ।
  3. फसल का बौनापन  व पत्तियाँ छोटी हो जाती है ।

फुलवारी द्रव्य (परागण के लिए)

  • 200 लीटर :- पानी
  • 200 ग्राम :- दालचीनी पाउडर
  • 2 किग्रा :- गुड़
  • 3 लीटर :- गन्ने का रस (सादा)
  • 2 लीटर :- ताजी छाछ
  • 500 ग्राम :- शहद
सारी सामग्री को मिक्स करके 7 दिन बाद जब पौधों पर फूल आएं हो तब स्प्रे करें इससे मधुमक्खियाँ आकर्षित होती है ।
मात्रा :- 100 %
उपयोग :- 2 दिन

बेल / गिरी टॉनिक (पोटाश / मैग्निशियम)

  • 5 किग्रा :- बेल का गुदा
  • 5 लीटर :- पानी
  • 200 ग्राम :- गुड़
इन सभी सामग्री को पानी में मिक्स करके 15 दिन के लिए छाया में रख दें ।
मात्रा :- 1 लीटर / 15 लीटर पानी
लकड़ी की राख में भी पोटाश की मात्रा होती है । इसका भी प्रयोग कर सकते है ।

पोटाश के लिए

5 किग्रा पके बेल फल के गूदे को 20 लीटर पानी में घोलकर 2 किग्रा गुड़ डालकर हवा बंद पात्र में रख दें । हर 5 दिन में डंडे की सहायता से हिलाते रहें ।
45 दिन में यह घोल तैयार हो जाएगा इसको 300 लीटर पानी में मिलाकर पौधों में डाले । यदि स्प्रे करना है तो इस घोल को 90 दिन तक रखना होगा ।
पोटाश की कमी के लक्षण :-
  1. पौधे की नई पत्तियों का किनारा पीला – भूरा पड़कर सूखने लगता है ।
  2. पत्तियाँ अंदर की ओर मुड़ने लगती है ।

यूरिया, जिंक, सल्फर, पोटाश के लिए

  • 20 लीटर :- पानी
  • 5 लीटर :- छाछ (एक महीने पुरानी)
  • 100 ग्राम :- कॉपर
  • 100 ग्राम :- आयरन
  • 5 लीटर :- गौ मूत्र
सभी सामग्री को मिलाकर 20 दिन के लिए छाया में रख दें ।
मात्रा :- 1 लीटर / 15 लीटर

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