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Monday, June 20, 2022
खेतों में नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, आग्नेयास्त्र का प्रयोग
Saturday, February 26, 2022
मूँग उत्पादन की उन्नत तकनीक
मूँग उत्पादन की उन्नत तकनीक
जलवायु :-
भूमि :-
भूमि की तैयारी :-
बुवाई का समय :-
उन्नत किस्मों का चयन :-
किस्म का नाम |
अवधि (दिन) |
उपज (क्विंटल / हैक्टेयर) |
प्रमुख विशेषतायें |
टॉम्बे जवाहर मूँग-3 (टी.जे.एम.-3) |
60 – 70 |
10 – 12 |
ग्रीष्म एवं खरीफ दोनों के लिए उपयुक्त। फलियाँ गुच्छों में लगती है। एक फली में 8 – 11 दाने। 100 दानों का वजन 3.4 – 4.4 ग्राम। पीला मोजेक एवं पाउडरी मिल्डयू रोग हेतु प्रतिरोधक। |
जवाहर मूँग-721 |
70 - 75 |
12 – 14 |
पूरे मध्यप्रदेश में ग्रीष्म एवं खरीफ दोनों मौसम के लिये उपयुक्त। पौधे की ऊंचाई 53 – 65 सेमी.। एक गुच्छे में 3 – 5 फलियाँ। एक फली में 10 – 12 दाने। पीला मोजेक एवं पाउडरी मिल्डयू रोग हेतु सहनशील। |
के-851 |
60 – 65 (ग्रीष्म ऋतु) 70 – 80 (खरीफ ऋतु) |
8 – 10 (ग्रीष्म ऋतु) 10 – 12 (खरीफ ऋतु) |
ग्रीष्म एवं खरीफ दोनों मौसम के लिये उपयुक्त। पौधें मध्यम आकार के (60 – 65 सेमी.)। एक पौधें में 50 - 60 फलियाँ। एक फली में 10 – 12 दाने। दाना चमकीला हरा एवं बड़ा। 100 दानों का वजन 4.0 – 4.5 ग्राम। |
एच.यू.एम.-1 |
65 - 70 |
8 – 9 |
ग्रीष्म एवं खरीफ दोनों मौसम के लिये उपयुक्त। पौधें मध्यम आकार के (60 – 70 सेमी.)। एक पौधें में 40 – 55 फलियाँ। एक फली में 8 – 12 दाने। पीला मोजेक एवं पर्णदाग रोग के प्रति सहनशील। |
पी.डी.एम.-11 |
65 – 75 |
10 – 12 |
ग्रीष्म एवं खरीफ दोनों मौसम के लिये उपयुक्त। पौधें मध्यम आकार के (55 – 60 सेमी.)। मुख्य शाखाएं मध्यम (3 - 4)। परिपक्व फली का आकार छोटा। पीला मोजेक रोग प्रतिरोधी। |
पूसा विशाल |
60 – 65 |
12 – 14 |
ग्रीष्म एवं खरीफ दोनों मौसम के लिये उपयुक्त। पौधें मध्यम आकार के (55 – 70 सेमी.)। फली का साइज अधिक (9.5 – 10.5 सेमी.)। दाना मध्यम चमकीला हरा। पीला मोजेक रोग सहनशील। |
बीजदर व बीज उपचार :-
बुवाई का तरीका :-
खाद एवं उर्वरक :-
नाइट्रोजन |
फास्फोरस |
पोटाश |
गंधक |
जिंक |
20 |
40 |
20 |
25 |
20 |
सिंचाई व जल निकास :-
खरपतवार नियंत्रण :-
खरपतवारनाशी रसायन का नाम |
मात्रा (ग्राम सक्रिय पदार्थ /
हैक्टेयर) |
प्रयोग का समय |
नियंत्रित खरपतवार |
पेन्डिमिथिलीन |
700 ग्राम |
बुवाई के 0 – 3 दिन तक अंकुरण के पहले। |
घासकुल एवं कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार। |
इमेजाथायपर |
100 ग्राम |
बुवाई के 20 दिन बाद। |
घासकुल, मोथाकुल एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार। |
क्यूजालोफाप ईथाइल |
40 – 50 ग्राम |
बुवाई के 15 – 20 दिन बाद। |
घासकुल के खरपतवारों का प्रभावी नियंत्रण। |
कीट नियंत्रण :-
रोग नियंत्रण :-
मूँग के प्रमुख रोग एवं नियंत्रण :-
पीला मोजेक |
रोग प्रतिरोधी अथवा सहनशील किस्मों जैसे टी.जे.एम.-3, के.-851, पन्त
मूँग-2, पूसा विशाल, एच.यू.एम.-1 का चयन करें। प्रमाणित एवं स्वस्थ बीजों का प्रयोग करें। बीज की बुवाई जुलाई के प्रथम सप्ताह तक कतारों में करें प्रारम्भिक
अवस्था में रोग ग्रसित पौधों को उखाड़ कर नष्ट करें। यह रोग विषाणु जनित है जिसका वाहक सफेद मक्खी कीट है जिसे नियंत्रित
करने के लिये ट्रायजोफॉस 40 ईसी 2 मिली / लीटर अथवा थायोमेथोक्साम 25 डब्लू.जी.
2 ग्राम / लीटर या डायमेथोएट 30 ईसी 1 मिली / लीटर पानी में घोल बनाकर 2 या 3
बार 10 दिन के अंतराल पर आवश्यकता अनुसार छिड़काव करें। |
सरकोस्पोरा पर्णदाग |
रोग रहित स्वस्थ पौधों का प्रयोग करें। खेत में पौधें घने नहीं होने चाहिये पौधों का 10 सेमी. के हिसाब से विरलिकारण
करें। रोग के लक्षण दिखाई देने पर मेन्कोजेब 75 डब्लू.पी. की 2.5 ग्राम / लीटर
या कार्बेन्डाजिम 50 डब्लू.पी. की 1 ग्राम / लीटर दवा का घोल बनाकर 2 – 3 बार छिड़काव
करें। |
एंथ्राक्नोज |
प्रमाणित एवं स्वस्थ बीजों का प्रयोग करें। फफूँदनाशक दवा जैसे मेन्कोजेब 75 डब्लू.पी. 2.5 ग्राम / लीटर या कार्बेन्डाजिम
50 डब्लू.पी. की 1 ग्राम / लीटर का छिड़काव बुवाई के 40 एवं 55 दिन पश्चात करें। |
चारकोल विगलन |
बीजोपचार कार्बेन्डाजिम 50 डब्लू.पी. की 1 ग्राम / किग्रा बीज के हिसाब
से करें। 2 – 3 वर्ष का फसल चक्र अपनाये तथा फसल चक्र में ज्वार, बाजरा फसलों
को सम्मिलित करें। |
पाउडरी मिल्डयू |
रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें। समय से बुवाई करें। रोग के लक्षण दिखाई देने पर कैराथन या सल्फर पाउडर 2.5 ग्राम / लीटर
पानी की दर से छिड़काव करें। |
फसल पध्दति :-
कटाई एवं गहाई :-
उपज एवं भण्डारण :-
Saturday, January 22, 2022
उड़द उत्पादन की उन्नत तकनीक
उड़द उत्पादन की उन्नत तकनीक
भूमि का चुनाव एवं तैयारी :-
उड़द की उन्नत किस्में :-
किस्म |
पकने का दिन |
औसत पैदावार (क्विंटल / हेक्टेयर) |
अन्य |
टी-9
|
70
– 75 |
10
– 11 |
बीज
मध्यम छोटा, हल्का काला, पौधा मध्यम ऊंचाई वाला। |
पंत
यू-30 |
70
|
10
– 12 |
दाने
काले मध्यम आकार के, पीला मौजेक क्षेत्रों के लिये उपयुक्त। |
खरगोन-3
|
85
– 90 |
8 –
10 |
दाना
बड़ा हल्का काला, पौधा फैलने वाला ऊंचा। |
पी.
डी. यू.-1 (बसंत बहार) |
70
– 80 |
12
– 14 |
दाना
काला बड़ा, ग्रीष्म के लिये उपयुक्त। |
जवाहर
उड़द-2 |
70 |
10
– 11 |
बीज
मध्यम छोटा चमकीला काला, तने पर ही फल्लियाँ पास-पास गुच्छों में लगती है। |
जवाहर
उड़द-3 |
70-75
|
4 –
4.80 |
बीज
मध्यम छोटा हल्का काला,पौधा मध्यम कम फैलने वाला। |
बीज की मात्रा एवं बीज उपचार :-
बोनी का समय एवं तरीका :-
खाद एवं उर्वरक की मात्रा :-
सिंचाई :-
निराई–गुड़ाई :-
उड़द में एकीकृत नाशी कीट प्रबंधन :-
उड़द की फसल में अब तक 15 प्रकार के कीटों द्वारा क्षति दर्ज की गई है।
कीट प्रकोप द्वारा इस फसल में 17–38 प्रतिशत तक हानि दर्ज की गई है। इनमें से कुछ प्रमुख कीट इस प्रकार है :-
उड़द के हानिकारक कीटों हेतु उपयोगी रासायनिक, कीटनाशकों की मात्रा
कीट का नाम |
कीटनाशक |
मात्रा प्रति लीटर पानी |
मात्रा / टंकी (15 लीटर पानी) |
मात्रा / हे. |
बिहार
रोमिल, इल्ली, तम्बाकू इल्ली, फली भेदक, फली भृंग एवं अन्य इल्लीयां |
क्वीनालफास
|
2
मी. ली. |
30
मी. ली. |
500
ली. |
सफेद
मक्खी |
डाईमिथोएट
30 ई. सी. |
2
मी. ली. |
30
मी. ली. |
500
ली. |
हरा
फुदका |
डाईमिथोएट
30 ई. सी. |
2
मी. ली. |
30
मी. ली. |
500
ली. |
रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग :-
उड़द में एकीकृत रोग प्रबंधन :-
पीला चित्तेरी रोग :-
पर्ण व्याकुंचन रोग या झुर्रीदार पत्ती रोग :-
मौजेक मौटल रोग :-
पर्ण कुंचन :-
सरकोस्पोरा पत्ती बुंदकी रोग :-
श्याम वर्ण (एन्थ्रेकनोज) :-
चारकोल (मेक्रोफामिना) झुलसा :-
चूर्णिता आसिता :-
रासायनिक प्रबंधन :-
- पीला चित्तेरी रोग में सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु मेटासिस्टाक्स 0.1 प्रतिशत या डाइमेथोएट 0.2 प्रतिशत प्रति हेक्टेयर (210 मिली/लीटर पानी) तथा सल्फेक्स 3 ग्राम/लीटर का छिड़काव 500–600 लीटर पानी में घोलकर 3–4 छिड़काव 15 दिन के अंतर पर करके रोग का प्रकोप कम किया जा सकता है।
- झुर्रीदार पत्ती रोग, मोजेक मोटल, पर्ण कुंचन आदि रोगों के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 5 ग्राम/किलोग्राम की दर से बीजोपचार तथा बुवाई के 15 दिन के उपरांत 0.25 मि.ली./लीटर से इन रोगों के रोग वाहक कीटों पर नियंत्रण किया जा सकता है।
- सरकोस्पोरा पत्र बुंदकी रोग, रुक्ष रोग, मेक्रोफोमिना ब्लाइट या चारकोल विगलन आदि के नियंत्रण हेतु कार्बेन्डाजिम या बेनलेट कवकनाशी (2 मि.ली./लीटर पानी) अथवा मेन्कोजेब 0.30 प्रतिशत का छिड़काव रोगों के लक्षण दिखते ही 15 दिन के अंतराल पर करें।
- चूर्ण कवक रोग के लिये गंधक 3 कि.ग्रा. (पाउडर)/हेक्टेयर की दर से भुरकाव करें।
- बीज को ट्राइकोडर्मा विरिडी, 5 ग्राम/कि. ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें।