उड़द उत्पादन की उन्नत तकनीक
भूमि का चुनाव एवं तैयारी :-
उड़द की उन्नत किस्में :-
किस्म |
पकने का दिन |
औसत पैदावार (क्विंटल / हेक्टेयर) |
अन्य |
टी-9
|
70
– 75 |
10
– 11 |
बीज
मध्यम छोटा, हल्का काला, पौधा मध्यम ऊंचाई वाला। |
पंत
यू-30 |
70
|
10
– 12 |
दाने
काले मध्यम आकार के, पीला मौजेक क्षेत्रों के लिये उपयुक्त। |
खरगोन-3
|
85
– 90 |
8 –
10 |
दाना
बड़ा हल्का काला, पौधा फैलने वाला ऊंचा। |
पी.
डी. यू.-1 (बसंत बहार) |
70
– 80 |
12
– 14 |
दाना
काला बड़ा, ग्रीष्म के लिये उपयुक्त। |
जवाहर
उड़द-2 |
70 |
10
– 11 |
बीज
मध्यम छोटा चमकीला काला, तने पर ही फल्लियाँ पास-पास गुच्छों में लगती है। |
जवाहर
उड़द-3 |
70-75
|
4 –
4.80 |
बीज
मध्यम छोटा हल्का काला,पौधा मध्यम कम फैलने वाला। |
बीज की मात्रा एवं बीज उपचार :-
बोनी का समय एवं तरीका :-
खाद एवं उर्वरक की मात्रा :-
सिंचाई :-
निराई–गुड़ाई :-
उड़द में एकीकृत नाशी कीट प्रबंधन :-
उड़द की फसल में अब तक 15 प्रकार के कीटों द्वारा क्षति दर्ज की गई है।
कीट प्रकोप द्वारा इस फसल में 17–38 प्रतिशत तक हानि दर्ज की गई है। इनमें से कुछ प्रमुख कीट इस प्रकार है :-
उड़द के हानिकारक कीटों हेतु उपयोगी रासायनिक, कीटनाशकों की मात्रा
कीट का नाम |
कीटनाशक |
मात्रा प्रति लीटर पानी |
मात्रा / टंकी (15 लीटर पानी) |
मात्रा / हे. |
बिहार
रोमिल, इल्ली, तम्बाकू इल्ली, फली भेदक, फली भृंग एवं अन्य इल्लीयां |
क्वीनालफास
|
2
मी. ली. |
30
मी. ली. |
500
ली. |
सफेद
मक्खी |
डाईमिथोएट
30 ई. सी. |
2
मी. ली. |
30
मी. ली. |
500
ली. |
हरा
फुदका |
डाईमिथोएट
30 ई. सी. |
2
मी. ली. |
30
मी. ली. |
500
ली. |
रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग :-
उड़द में एकीकृत रोग प्रबंधन :-
पीला चित्तेरी रोग :-
पर्ण व्याकुंचन रोग या झुर्रीदार पत्ती रोग :-
मौजेक मौटल रोग :-
पर्ण कुंचन :-
सरकोस्पोरा पत्ती बुंदकी रोग :-
श्याम वर्ण (एन्थ्रेकनोज) :-
चारकोल (मेक्रोफामिना) झुलसा :-
चूर्णिता आसिता :-
रासायनिक प्रबंधन :-
- पीला चित्तेरी रोग में सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु मेटासिस्टाक्स 0.1 प्रतिशत या डाइमेथोएट 0.2 प्रतिशत प्रति हेक्टेयर (210 मिली/लीटर पानी) तथा सल्फेक्स 3 ग्राम/लीटर का छिड़काव 500–600 लीटर पानी में घोलकर 3–4 छिड़काव 15 दिन के अंतर पर करके रोग का प्रकोप कम किया जा सकता है।
- झुर्रीदार पत्ती रोग, मोजेक मोटल, पर्ण कुंचन आदि रोगों के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 5 ग्राम/किलोग्राम की दर से बीजोपचार तथा बुवाई के 15 दिन के उपरांत 0.25 मि.ली./लीटर से इन रोगों के रोग वाहक कीटों पर नियंत्रण किया जा सकता है।
- सरकोस्पोरा पत्र बुंदकी रोग, रुक्ष रोग, मेक्रोफोमिना ब्लाइट या चारकोल विगलन आदि के नियंत्रण हेतु कार्बेन्डाजिम या बेनलेट कवकनाशी (2 मि.ली./लीटर पानी) अथवा मेन्कोजेब 0.30 प्रतिशत का छिड़काव रोगों के लक्षण दिखते ही 15 दिन के अंतराल पर करें।
- चूर्ण कवक रोग के लिये गंधक 3 कि.ग्रा. (पाउडर)/हेक्टेयर की दर से भुरकाव करें।
- बीज को ट्राइकोडर्मा विरिडी, 5 ग्राम/कि. ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें।
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